धड़कन तो उसकी भी थम सी गयी होगी,
वो मुझको ख़त लिखने के रास्ते ढूंढ़ रही होगी,
कभी "माँ" कभी "बाप" कभी "भाई" को समझा रही होगी,
वो मुझसे एक दफे बात करने के बहाने ढूंड रही होगी,
शिकायत है उसके घरवालो को की आजकल पानी नमकीन है,
उन्हें क्या पता वो "घाघर" आंसुओं से भर रही होगी,
महिना बीत गया एक दुसरे से गुफ्तगू किये हुए,
वो कुछ आखरी खूबसूरत बातों को याद कर रही होगी,
या खुदा तुझे बहुत गुरुर है न तेरे खुदा होने पर,
फिर कर उसकी इबादत कबूल जिसमे वो मेरा नाम ले रही होगी.......
वो मुझको ख़त लिखने के रास्ते ढूंढ़ रही होगी,
कभी "माँ" कभी "बाप" कभी "भाई" को समझा रही होगी,
वो मुझसे एक दफे बात करने के बहाने ढूंड रही होगी,
शिकायत है उसके घरवालो को की आजकल पानी नमकीन है,
उन्हें क्या पता वो "घाघर" आंसुओं से भर रही होगी,
महिना बीत गया एक दुसरे से गुफ्तगू किये हुए,
वो कुछ आखरी खूबसूरत बातों को याद कर रही होगी,
या खुदा तुझे बहुत गुरुर है न तेरे खुदा होने पर,
फिर कर उसकी इबादत कबूल जिसमे वो मेरा नाम ले रही होगी.......